Heritage of history: The remains of the 1200 year old city are buried under the dunes of #Nareshwar hill in #Gwalior, now the archeology #department will start digging. There are entry/exit doors, 4 feet boundary, houses, pond, lighting arrangement in houses and agriculture land has been found in this old city.
____________________________________
शहर से 25 किलोमीटर दूर औद्योगिक क्षेत्र #मालनपुर के पास लेकिन मुरैना जिले में स्थित नरेश्वर में फैली यू आकार की पहाड़ियों के बीचों-बीच 1200 साल पुराने नगर की बसाहट के प्रमाण मिले हैं। यहां टीलों के नीचे दबे पत्थरों के 14 से 15 फीट ऊंचाई वाले दो मंजिला मकानों के अवशेष मौजूद हैं। इनमें रसद और कीमती सामान को सुरक्षित रखने के लिए दीवार में ही तिजोरीनुमा गुप्त स्थान और #छत पर आने-जाने के लिए सीढ़ियां भी दिखती हैं। मकानों के पीछे बरसाती नदी और बस्ती से कुछ दूरी पर बड़े तालाब की संरचना भी है, जो यहां प्राचीन नगरीय सभ्यता के आधार पर बसाहट की गवाही देते हैं। दैनिक भास्कर की टीम के साथ मौके पर गए पुरातत्व विशेषज्ञों ने यहां पर 80 से 100 #मकान पहाड़ी के नीचे दबे होने की संभावना बताई।
ये दिखे प्रमाण
नगर में आने-जाने के लिए प्रवेश द्वार भी बना था। यहां पर दो खंभे नजर आते हैं। यहां 4 फीट चौड़ी सुरक्षा दीवार भी है।
घरों के अंदर रात्रि के वक्त उजाला करने के लिए आले बने हुए हैं।
पहाड़ी पर पान की खेती होती थी, इसके अवशेष भी मौजूद हैं।
यहां तालाबा भी बना है।
पुरा संपदा से संपन्न है क्षेत्र
ग्वालियर-चंबल क्षेत्र पुरा संपदा के मामले में काफी संपन्न है। केंद्र सरकार को नरेश्वर मंदिरों के पास टीलों में दबे अवशेषों के लिए पुरातत्व के साथ मानव जाति के विज्ञान अध्ययन कराना चाहिए। -केके मोहम्मद (सेवानिवृत डायरेक्टर एएसआई)
इसलिए है उम्मीद
साल 1996-97 में एएसआई ने मुरैना जिले के कुंतलपुर में खुदाई कराई थी। यहां पर महाभारत कालीन अवशेष मिले थे।
2005 बटेश्वर स्थल पर टीलों में ऐतिहासिक मंदिर मिले थे। इनका कुछ मलबा ऊपर ही दिखता था। इन्हें सहेजकर 100 शिव मंदिर स्थापित कर दिए गए हैं।
टीम भेजकर अध्ययन कराएंगे
नरेश्वर के मंदिर राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक हैं। यदि यहां पर पुराने मकान टीलों में दिख रहे हैं, तो कोरोना संक्रमण खत्म होने के बाद टीम को सर्वे के लिए भेजेंगे। इसके बाद एएसआई के खुदाई व अन्य काम होंगे। -पीयूष भट्‌ट, अधीक्षण पुरातत्वविद भोपाल मंडल एएसआई
Picture: Bhaskar

By SG

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *